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अगर हिम्मत है तुझमें
कुछ जज्बा शेष है सीने में
तो फिर उठ खड़ा हो,
लड़खड़ाते ही पैरों से सही पर चल जब,
तक मंजिल से मुलाकात ना हो
यतेन्द्र सिंह
किसी व्यक्ति विशेष का निर्धारित समय में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त ना हो पाना यह प्रार्थना कर पाना ही फेल होना कहलाता है अब वह किसी परीक्षा में फेल हो ना हो किसी बिजनेस में फेल हो ना हो या अन्य किसी भी परिस्थिति में फेल हो ना हो फील होना यह दर्शाता है कि आप ने निर्धारित समय में अपनी योग्यताओं का संपूर्ण उपयोग नहीं किया
जैसे किसी व्यक्ति का फेल होने का कारण उसका अपनी योग्यताओं और क्षमताओं का पूर्ण रूप से उपयोग ना करना होता है ठीक इसके विपरीत किसी व्यक्ति के पास होने में उस व्यक्ति के द्वारा अपनी क्षमताओं और योग्यताओं परिस्थितियों का सही तरीके से उपयोग करना ही पास होना है वह किसी भी परीक्षा के लिए हो सकता है वह किसी भी बिजनेस के लिए हो सकता है या किसी अन्य
अगर आप किसी परीक्षा में है किसी बिजनेस में किसी भी निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में फेल हो जाते हैं तो सर्वप्रथम आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि आप फेल हो चुके हो आपको इस बात का प्रेशर नहीं लेना है कि आप फेल हो गए हो लेकिन यह स्वीकार करना है कि आप फेल हो गए हो क्योंकि जब हम स्वीकार करते हैं किसी चीज को तब ही हम उसमें सुधार करने का प्रयास करते हैं जैसे अगर हम यह स्वीकार ही नहीं करें कि मैं झूठ बोल रहा हूं या कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है या उसके पास कोई चोरी की वस्तु है तो वह व्यक्ति उस में कैसे सुधार कर सकता है सर्वप्रथम आपको अपनी फेलियर को स्वीकार करना होगा आपके द्वारा किए गए प्रयासों में कहां पर कमी रह गई इसका अच्छे से विश्लेषण करें और भविष्य के लिए रणनीति बनाएं
छोटे-छटे लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए रणनीति बनाएं
लेखक : यतेन्द्र सिंह
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